महिलाओं के लिये ज्योतिष विचार - ज्योतिर्विद घनश्याम ठाकुर

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vivratidarpan.com - मनुष्य योनि में स्त्री को सर्वाधिक कष्ट उठाना पड़ते हैं। अनेक प्रकार के रोग, पारिवारिक परेशानियों आदि से हमेशा परेशान रहती हैं अत: ज्योतिष शास्त्र द्वारा देखे कि कौन-कौन से योगों से किस प्रकार की परेशानी आती है। स्त्री की कुण्डली में यदि- यदि शुक्र, मंगल, चन्द्र एक साथ हो तो वह पति की स्वीकृति से व्यभिचारिणी बनती है।

यदि चौथे घर में बुरे ग्रह हो व कोई शुभ राशि या ग्रह न हो तो चरित्र खराब होता है।

यदि शुक्र व मंगल एक दूसरे के नवमांश में हो तो चरित्र खराब होता है।

यदि सातवें घर में या नवमांश में मंगल, या शनि या सूर्य हो तो ज्ञानेन्द्रिय के रोग होंगे।

यदि सातवें घर में सूर्य हो तथा क्रूर ग्रह की दृष्टि हो तो वह पति द्वारा छोड़ दी जाती है।

यदि सातवे घर में क्रूर या नीच के ग्रह या शनि हो तो स्त्री विधवा होती है।

यदि सातवें घर में मंगल, शनि, सूर्य हो तो योनि रोग होते हैं।

पांचवे भाव में नीच के शनि, मंगल हो तो बच्चे नहीं होते।

यदि सातवें घर में बुध हो तो पति-बुद्घिमान व खुश रहता है किन्तु सेक्स ठंडा रहता है।

शनि हो तो पति अधिक उम्र का मूर्ख होता है।

मंगल हो तो पति गरीब व अधिक उम्र का दिखने वाला होता है।

नवें घर का स्वामी और गुरू 3,8,12 घर में हो तो पति की उम्र कम होती है।

यदि जीवन रेखा टूटी हो या सीधी हो तो स्त्री को ऋतु काल में तकलीफ होती है।

जीवन रेखा पर द्वीप हो तो प्रसूति में कष्ट, भय, कमजोरी रहती है।

जीवन रेखा अंगुष्ठ से निकले तो सन्तान हीन समझना चाहिये।

जीवन रेखा प्रारम्भ और अन्त में सर्प जिव्हाकार हो तो गर्भाशय सम्बन्धी बीमारी होती है।

नारी के ऋतुकाल से भी अनेक प्रकार की जानकारियां प्राप्त हो जाती हैं। ऋतुकाल

दिन के प्रथम पूर्वांन्ह में कन्या को प्रथम बार होना शुभ होता है।

सांय:काल या प्रात: की संधिकाल में होने से वासना की शक्ति बढ़ जाती है।

रात्रि में होने से अशुभ होता है।

कम रक्त आना स्वेच्छा चारिणी होती है।

अधिक होना अशुभ होता है।

लाल रंग का आर्वत होना पुत्रवती के लक्षण हैं।

काले रंग का होना मृत सन्तान का होने के लक्षण हैं।

पांडु रंग या कौवे के पंख के समान होने से दाम्पत्य सुख नष्ट होता है।

पीला या गुंजा का रंग होना शुभ होता है।

सिन्दूर की तरह रंग हो तो  कन्या अधिक होगी। (विनायक फीचर्स)