अर्जुन (रोला छंद) - मधु शुक्ला
May 1, 2024, 22:53 IST
| सम्मुख अपने देख, शस्त्र अर्जुन ने त्यागे,
अपने रथ को रोक, दूर वे रण से भागे।
समझाये तब कृष्ण, मोह अंधा घातक है,
दुराचार के साथ, खड़ा जब हर जातक है।।
क्षत्रिय का है धर्म, सत्य का पालन करना,
करते जाना कर्म , न बाधाओं से डरना।
जब करना हो न्याय, न कोई होता अपना,
अपना कर यह नीति,पूर्ण कर लो निज सपना।।
पाया जब सद् ज्ञान, युद्ध अर्जुन को भाया,
द्रुपद सुता अपमान, आँख के सम्मुख आया।
उठा लिए तब अस्त्र, ढ़ेर अरि को कर डाला,
प्राप्त किया सम्मान, हृदय में सच जब पाला।।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश