तुम सोच रहे न देख रहा कोई - हरी राम यादव
Apr 2, 2024, 23:29 IST
| चुपके-चुपके मनुआ तुम,
कर रहा है ऐसी करतूत ।
तुम सोच रहा न देख रहा,
कोई वर्तमान न कोई भूत।
कोई वर्तमान न कोई भूत,
पूत हरी का तू निपट अनाड़ी।
कैद हो रहा हर क्षण का चित्र,
जिधर घूम रही तेरी गाड़ी।
जब अति की सीमा पर पहुंचेगा,
तब सब सर्वनाश हो जाएगा।
जो बेईमानी से किया इकट्ठा,
सब धू धू कर जल जाएगा।।
-हरी राम यादव, अयोध्या , उत्तर प्रदेश