कविरा मैं तुझमें बसी - अनुराधा पाण्डेय

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आज मिलने को विकल हैं

प्रिय! युगल ये नैन प्यारे....

मैं  मिलन ही चाहती  हूँ,

साथ मेरा आज दो तुम ।

खिलखिलाती चंद्रिका- सी

ज्योत्सना के ताज दो तुम।

साथ मेरा दे रहे प्रिय !

जाग नभ के चाँद तारे ।

प्रिय ! युगल ये नैन प्यारे ।

आ धड़क जाओ हृदय में,

धड़कनों को रागिनी दो ।

सद्य उर की इस अमा को ,

चाँद बनकर चाँदनी दो ।

पास आकर छू अधर को

साँस  देकर  प्राण  वारे ।

प्रिय ! युगल ये नैन प्यारे।

एक तन हो,एक मन हो,

भेद द्वय का हो विसर्जित।

जो तुम्हारे पास समिधा ,

वे हवन बन हो समर्पित ।

आ भरूँ परिरम्भ में प्रिय!

सद्य हर लूँ शूल सारे।

प्रिय ! युगल ये नैन प्यारे ।

आज मिलने को विकल हैं

प्रिय!युगल ये नैन प्यारे....

- अनुराधा पाण्डेय, द्वारिका, दिल्ली