बतलाया करेंगे - अनिरुद्ध कुमार

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आशिकी में रातदिन ज़ाया करेंगे,

प्यार का सौगात हम लाया करेंगे।

जानते हैं चार दिन की जिंदगानी,

डर नहीं हम हर घड़ी आया करेंगे।

कौन किसका ये जमाना है फरेबी,

जो सजा देना न पछताया करेंगे।

जिंदगी बेजान सी लगती हमें क्यों,

दर्द दिलका पास आ गाया करेंगे।

दो घड़ी 'अनि' चैनसे जीवन गुजारे,

बंदगी क्या चीज बतलाया करेंगे।

- अनिरुद्ध कुमार सिंह

धनबाद, झारखंड