हँसी मंज़र नहीं आते - अनिरुद्ध कुमार
Dec 24, 2023, 23:41 IST
| खफा रहते सदा हमसे हमारे दर नहीं आते,
खता क्या हो गई जानें बताने घर नहीं आते।
यही अंदाज तेरा प्यार में दिल को लगे धोखा,
जलाते हो हमेशा दिल कभी अंदर नहीं आते।
गजब दस्तूर दुनिया का कहाँ कोई समझता है,
मुहब्बत का तकाज़ा क्या नजर दिलवर नहीं आते।
बड़ी उम्मीद से चाहा नहीं कोई तमाशा यह,
लगाके दिल कभी आशिक रफूचक्कर नहीं आते।
जहाँ में प्यार जो करता सदा हीं जान पर खेला,
यहाँ पे राह दिखलाने कभी रहबर नहीं आते।
किसे फुर्सत जमाने में जरूरी गुफ्तगू साथी,
किसी की जान लेने को सदा खंजर नहीं आते।
जमाना मतलबी जानों भरोसे पे जिंदगी'अनि',
बड़ी नाजुक घड़ी साथी हँसी मंज़र नहीं आते।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड