रिश्ता निभाना चाहता हूँ - अनिरुद्ध कुमार

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हँसीं दुनिया बसाना चाहता हूँ,

खुशी हो मुस्कुराना चाहता हूँ।

रहें मिल चैन की बंसी बजायें,

राह जीनें का बताना चाहता हूँ।

मुहब्बत जिंदगी की है निशानी,

मुहब्बत प्यार लाना चाहता हूँ।

जिंदा दिल जिंदगी हीं बंदगी है,

इबादत कर रिझाना चाहता हूँ।

किसे ना प्यार का नगमा लुभाये,

सभी गाये तराना चाहता हूँ।

गुजारें प्यार से दो पल जमीं पर,

जहां सुंदर सजाना चाहता हूँ।

किसी के काम आयें जिंदगी'अनि',

सदा रिश्ता निभाना चाहता हूँ।

- अनिरुद्ध कुमार सिंह

धनबाद, झारखंड