हूँ घुमक्कड़ - सुनील गुप्ता
Feb 14, 2024, 23:33 IST
| हूँ घुमक्कड़
और रहा घूमता !
सदा जीवन भर.....,
यहां से वहां फिरता !!1!!
बन यायावर
शहर दर शहर !
करता रहा सफर....,
सुबह शाम हरेक प्रहर !!2!!
चला उम्रभर
कभी थका नहीं !
देखी संस्कृति धरोहर.....,
बनाए कई मित्र यहीं !!3!!
पड़ाव हरेक
सीखा गए बहुत !
मिले लोग अनेक.....,
सभी भलमनसाहत !!4!!
दौरे घुमक्कड़ी
चली बरसों बरस !
फिर रफ़्तार पकड़ी.....,
पर, रहा जस का तस !!5!!
-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान