अहसास - ज्योति श्रीवास्तव 

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सहे  सब   दर्द  वो  रोती   नहीं  है,

ज़रा मॉं  से  पूछो  कहती  नहीं  है।

सदा चुनती खुशियाँ देती दुआ बस,

जहां  में  उस जैसा  हस्ती  नहीं  है।

भरा   नफरत  से  ये  संसार  सारा,

दिलों  में  प्यार  अब  बाकी नहीं है।

सदा  मॉं  की  दुलारी  मैं हूं बिटियाँ ,

मुझे   दूरी   सुहाती   ही   नहीं   है।

महकते  फूल  कलियों  पर ये भंवरें,

जो तुम बिन "ज्योति" को भाती नहीं है।

– ज्योति अरुण श्रीवास्तव, नोएडा, उत्तर प्रदेश