अहसास - ज्योति अरुण

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धड़कनों   का  राज़ इश्क में घुले  हुए,

देख  के  लजा  गयें  नज़र  झुके  हुए।

छल के हमको ले गए  बेदर्दे इश्क  में,

मासूम निगाह कर वो भोला बने हुए।

आपकी निगाह मद भरी है क्यों सनम,

राज क्या  छुपा रखे हो  बिन  कहे हुए ।

नाम लिख  तुम्हें तो चाहने  लगे सुनो,

दिल  की  धड़कनें भी संग आपके हुए।

क्या गजब ढाई है उल्फत चैन भी खोया,

याद  बनके  छा  रहे  सितम  सहे  हुए।

जो  हॅंसी लव  पे  आई  सोचते  अगर ,

इश्क  भी  अनोखे  रंग  को  लिये हुए ।

बंदगी  सी  चाहते "ज्योति"  की  रही,

धड़कने भी तो सनम वार तुझी पे हुए।

- ज्योति अरुण श्रीवास्तव, नोएडा, उत्तर प्रदेश