पर्वत के उस पार - सुनील गुप्ता

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पर्वत

के उस पार,

बसें हैं हमारे, प्रिय परवरदिगार  !!1!!

केवल

उन्हें दिखें ईश्वर,

पाले चलें श्रद्धाभाव, जो अपार !!2!!

उस

क्षितिज के पार,

है सुख शांति प्रेम बेशुमार !!3!!

पार

देख सकें मंज़र,

मिली हों यदि, दिव्य नजर !!4!!

पर्वत

हैं शिव शंकर,

बसे हैं, कण-कणमें ईश्वर !!5!!

- सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान