आम आदमी - सुनील गुप्ता

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मैं एक आम आदमी हूं

और रहता हूं दिन भर व्यस्त  !

रोज खोजूँ यहां रोजी-रोटी....,

और थक हार कर हो जाता पस्त !!1!!

मैं एक आम आदमी हूं

और नहीं हैं ख्वाहिशें मेरी ऊँची  !

रहता हूं बहुत छोटे से घर में.....,

और हैं तमन्नाएं मेरी छोटी-छोटी !!2!!

मैं एक आम आदमी हूं

और सोचता नहीं हूं बहुत ज्यादा !

मिल जाए उसी में रहता ख़ुश.....,

और कल की नहीं करता परवाह चिंता !!3!!

मैं एक आम आदमी हूं

और रहता हूं धरती से जुड़ा  !

कभी हवा में नहीं उड़ता......,

और सबके लिए हूं सदा खड़ा !!4!!

मैं एक आम आदमी हूं

और जीऊं सीधा सरल जीवन  !

सदैव रहूं औरों की खुशियों में ख़ुश.. ..,

और हर हाल में बना रहूं प्रसन्न !!5!!

मैं एक आम आदमी हूं

और कभी नहीं यहां डरता  !

सदा चलता रहा सीधे रास्ते पर.....,

और अपने काम से काम ही रखता  !!6!!

मैं एक आम आदमी हूं

और रहा बना अपने में तृप्त  !

कभी करी नहीं यहां तांका झांकी.....,

और रहा सदैव जीवन में संतुष्ट !!7!!

मैं एक आम आदमी हूं

और है पहुंच नहीं मेरी ऊपर तक !

यहां जब जो मिल जाया करे.......,

उसमें रहता हूं बना सदा ही मस्त !!8!!

मैं एक आम आदमी हूं

और जोड़ूं नहीं कुछ कल के लिए   !

बस आज अभी वर्तमान में जीऊं.....,

फिर, कल खोजूँगा जीने के लिए !!9!!

-सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान