गीत - (हिंदी दिवस) - जसवीर सिंह हलधर

 | 
picv

भारती के भाल का श्रृंगार  हिंदी में छुपा है ।

देश में सद भाव का आधार हिंदी में छुपा है । ।

वेद से  पैदा हुई  है नौ रसों का वास जिसमें ।

शान से बोलो लिखो सब छंद के परिभाष इसमें ।

राष्ट्र के कल्याण का उपहार  हिंदी में छुपा है ।।

भारती के भाल का श्रृंगार  हिंदी में छुपा है ।।1

पर्वतों में गूंजती है सिंधु लहरों में बसी है ।

है मधुर वाणी रसीली छंद बहरों में कसी है ।

भावना का शब्द में आकार हिंदी में छुपा है ।।

भारती के भाल का श्रृंगार हिंदी में छुपा है ।।2

विश्व को बंधुत्व का पैगाम देती आ रही है ।

राष्ट्र के उत्थान को अंजाम देती आ रही है ।

लोक का परलोक से व्यवहार हिंदी में छुपा है ।।

भारती के भाल का श्रृंगार  हिंदी में छुपा है ।।3

राष्ट्र भाषा देश का अभिमान  होती मान होती ।

सत्य ये "हलधर" न माने कौम वो सम्मान खोती ।

ऐंग्लों के रोग का उपचार  हिंदी में छुपा है ।।

भारती के भाल का श्रृंगार  हिंदी में छुपा है ।।4

- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून