सावन गीत - किरण मिश्रा
Mon, 1 Aug 2022
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बदरा काले काले ,
मस्ती में झूमे
पय पीकर मतवाले।
धानी आँचल वाली
धरती पर नाचें
बूँदें बन मतवाली।।
लहरा के जुल्फ खुली
छाया अंधियारा
पावस की रात जली।
पिउ तुम बिन रात ढली
छाये घन कारे
चमकी चपला बिजली।
नागन सी सेज डसे
तुम बिन ओ छैला
बाहों में कौन कसे।।
रिमझिम बरसे बादल
जियरा काँपे मोरा
रिसता जाये काजल ।।
माही अब आ जाओ
प्यासा है तन मन
लब की अगन बुझाओ।
- डा किरणमिश्रा स्वयंसिद्धा, नोएडा