प्रवीण प्रभाती - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी
Sep 15, 2022, 23:40 IST
| अपने पुरखों के सदा, मन में रखिये आप।
उनके ही आशीष से, मिटें सकल संताप।।
संस्कारों की बेल के, पूर्वज ही हैं मूल।
उनके पूण्य-प्रताप से, जिसमें खिलते फूल।।
पखवाड़ा इस पक्ष का, कर पितरों के नाम।
अर्पण तर्पण ध्यान का, कार्य चले अविराम।।
कीर्ति बढ़ाएं पितृ की, केवल कर शुभ कर्म।
मान बढ़ाना हो सदा, हर मानव का धर्म।।
ध्यान नियम पालन करें, समुचित हो व्यवहार।
संयम से कुछ दिन जियें, रखें न कोई विकार।।
श्रद्धानत होकर सभी, कर लें पूजन ध्यान।
पुरखों के सम्मान से, खुद का बढ़ता मान।।
- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश