प्रवीण प्रभाती - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

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डाँट पड़े जब भी उनको वह मातु गले लग लाड़ लड़ाते।

गोकुल के सब लोग बड़े प्रिय जी भर के निज प्यार लुटाते।

सर्व चराचर प्राणि समेत धरा पर मोहन नेह दिखाते।

आप कृपालु सभी जन के मन प्रेम भरा नव सेतु बनाते।

कंस उपाय करे नित नूतन किंतु उन्हें वह मार न पाता।

राक्षस भेज अनेक वहाँ ब्रजवासिन को वह नित्य डराता।

हो शकटासुर और बकासुर दो पल में निज जान गँवाता।

तारणहार बने शिशु सम्मुख भक्ति भरा मन शीश नवाता।

माधव ये विनती तुमसे कलिकाल प्रकोप तुरंत मिटाना।

लेकर जन्म पुनः धरती पर दीनन के संताप घटाना।

मानस भी कर शुद्ध प्रबुद्ध सभी जन को गुणवान बनाना।

हे मुरलीधर आप हमें शुभ भक्ति भरा नित पाठ पढ़ाना।

- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी,उत्तर प्रदेश