प्रवीण प्रभाती - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

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सावन मास पुनीत बड़ा शिव के मन को लगता अति प्यारा।

जो जल से अभिषेक करे भरते उसका घर शंकर सारा।

पत्र त्रयं नित बेल चढ़े सँग भंग धतूर मदार रिझायें।

नाम जपे संताप कटें त्रिपुरारि हमें शुभ मार्ग दिखायें।

हे शिव शंभु सदा हमरी विपदा भय से रक्षा करियेगा।

जूझ रहा जग है जिससे वह संकट भी सबके हरियेगा।

सम्मुख आज विपत्ति बड़ी प्रभु शक्ति असीम पुनः भरियेग।

नाथ कृपा करके कर आप सदा हर मष्तक पे धरियेगा।

शंभु सहाय बनें सबके करते सब कष्टन से रखवारी।

पूजन भक्त करें मन से शिव की महिमा जग में अति न्यारी।

औघड़ लोग कहें उनको पर भाव भरे रहते अविकारी।

घोर विपत्ति पड़ी जग पे अब हाथ गहो फिर से त्रिपुरारी।

सावन सोम रखे व्रत मानव वो गिरिजापति के मन भाता।

चंदन बेल मदार धतूर करे जब अर्पण तो फल पाता।

मास पुनीत बसे उर में नित पर्व नवीन अनेक मनाता।

ध्यान धरे अभिषेक करे समझे शिव को निज भाग्य विधाता।

- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश