राष्ट्र भाषा हिंदी भाषा हो - टी. एस. शान्ति

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Vivratidarpan.com - लड़ना है तो उसमें जीतना भी है,और बुद्धिमान वीर वही हथियार चुनता है, जो उसे जीत की ओर ले जाने में समर्थ हो। हाँ, ये भी सच है कि किसी भारतवासी को जीत होना है उसके लिए हमारे देश की राष्ट्र भाषा हिन्दी को जानना चाहिए। क्योंकि भारत के पूरे प्रांतों में हिन्दी में बोल चाल है। हम जानते हैं कि अंग्रेज शासकों के विरुद्ध राष्ट्रपिता ने जब युद्ध करने की ठानी, तब हथियार चुनने में उन्होंने बुद्धिमत्ता से काम  लिया। उन्होंने उसे सत्य युद्ध घोषित किया और हाथ में लिया अहिंसा रुपी अमोघ आयुध। यह हथियार कितना सफल हुआ, यह बताने की जरुरत नहीं, हम जानते हैं। महात्मा गांधी के करकमलों से यह हिन्दी भाषा को हमारा देश भाषा करके लिखे है। सामान्य कण बनकर रहना भी महान गौरव की बात है। सब तरह से देश के पूरे लोगों एवं छात्रों को हिन्दी भाषा का उत्कृष्ट ज्ञान प्रदान होता हैं। आज कल भारत भर में पूरे लोग हिन्दी पढ़ते हैं। मानव जीवन में नूतनता का बड़ा महत्व रहता है। हमें गर्व है कि हम राष्ट्र भाषा के प्रचारक हैं, राष्ट्र के सेवक हैं। व्यक्तिगत जीवन में नवीनता महत्वपूर्ण है, वांछनीय है, तो हम राष्ट्र गत जीवन में भी उसका महत्व जानते हैं, चाहते हैं। हाँ, संसार भर के हिन्दी प्रचारकों को, हिन्दी प्रेमियों को हमारी हृदय से शुभकामना यह है कि उनका जीवन पथ हर प्रकार से प्रशस्त व प्रज्वल हो। संक्रांति, पोंगल, गणतंत्र दिवस की भी मंगल कामनाएं हम अहिंदी भाषी होते हुए भी हिंदी में देते हैं। पढ़ते-पढ़ते पूरे विश्व के लोग हिन्दी भाषा जान लेंगे। आज भी मैं विदेश जाती हूं वहां हिन्दी में बात करे तो उसका जवाब वे हिंदी में देते हैं जिससे मुझे गर्व महसूस होता है। अतः राष्ट्र भाषा हिंदी भाषा हो। - टी. एस. शान्ति,  प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा मदुरै, तमिलनाडु , संपर्क सूत्र - ९४८६२०७८१९