राष्ट्रीय काव्य संग्रह मंच ने किया विशाल कवि सम्मेलन का आयोजन

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vivratidarpan,com मेरठ- मेरठ के लालकुर्ती राम भवन मंदिर बकरी मोहल्ला में राष्ट्रीय काव्य संग्रह मंच की ओर से काव्य संध्या का भव्य आयोजन किया गया। संस्थापिका नीलम मिश्रा तरंग ने सभी का फूल माला से स्वागत किया ।

विशिष्ट अतिथि सुमनेश सुमन, अनिल शर्मा और रामवतार त्यागी रहे, जिन्होंने माँ सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलित कर पुष्प अर्पित किये कवयित्री  रामकुमारी  रागिनी ने सरस्वती वंदना से कार्यक्रम को गति प्रदान की।

वरिष्ठ कवि गंभीर जी ने कहा -

किसी का कर भला तू भी तभी तेरा भला होगा,

तपा होगा वह अग्नि में तभी कुंदन बना होगा।

मंच अध्यक्ष डा. सुदेश यादव दिव्य ने कहा-

तन्हा तन्हा ठोकर खाता रहता हूं,

मैं बिछडों को ही मिलवाता रहता हूं।

नीलम मिश्रा ने कहा -

मोहब्बत हो गयी थी और हम अनजान बैठे थे,

हुआ एहसास तब हमको  किसी बंदे में रब ढूंढा।

महासचिव रेखा गिरीश ने कहा -

आवारापन छोड़ दिया है, सीधी साधी राह चलेंगे,

कितना भागें कितना दौड़ें, अब बस तेरी राह तकेंगे।          

कविता मधुर ने अपने भावों को कुछ इस तरह प्रकट किया कि -

एक दुनिया दिलों की बसाया करो,

पास बैठो ज़रा गुनगुनाया करो ।

राजरानी सिंह ने कुछ इस तरह कहा -

तेरे वादों पे मुझे एतवार क्यूं कर हो,

मेरे ख़्वाबों में तेरा इंतजार क्यूं कर हो,

मैंने देखा है हर कली पे मडराते तुझे,

जाने जां तू ही बता तुझसे प्यार क्यूं कर हो।

कुमार आदेश शिखर कहते हैं कि -

जो बिक जाए बाजारों में कलम सस्ती नहीं मेरी,

झुकी अन्याय के आगे कभी हस्ती नहीं मेरी।

शोभा विजय ने कहा -

अंधेरों से मुझे इश्क होने लगा है ,

चिराग जलते ही जैसे, कुछ होने लगा है।

रचना सिंह वानिया कहती हैं -

माँ मेरी है जीवनदाता, ममता का भंडार हैं,

माँ से बढ़कर कोई नहीं है माँ पूरा संसार है।

नन्दिनी रस्तोगी नेहा' ने कहा -

वो कहते रहे हीरा हमें औ हम उन्हें कोहिनूर,

वह कहते रहे चांद हमें हम उन्हें जीवन का नूर।

आयोजिका रामकुमारी  रागिनी ने कहा -

ये भारत की भूमि, ये भारत देश हमारा है।

संस्कृति की खुशबू से महका एक सितारा है।

अरुणा पवार ने कहा-

अंत समय में हे भगवन देना तट मुझे गंगे का।

कुश तुलसी की चाह नहीं देना कफन तिरंगे का।

डॉ क्षमा गुप्ता ने कहा -

है जिसको चाह पहुंचने की अब मंजिल तक,

डर से कांटों के राह में वह रुकता कब है।

अंत में महासचिव रेखा गिरीश ने सभी को आने के लिए आभार एवं धन्यवाद व्यक्त किया। सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि ईश्वर चंद गंभीर व संचालन अध्यक्ष रचना सिंह वानिया ने किया।