माँ जीवन है - कालिका प्रसाद

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माँ रामचरितमानस की चौपाई है,

माँ   श्रीमद्भागवत   गीता     है!

 माँ   कविता  के   अंलकार    है,

माँ     एक    पवित्र   शब्द  है।

माँ  विद्या की देवी सरस्वती है,

ज्ञानी और  विज्ञानी   दोनों है!

करुणा की  करुण  कहानी है,

श्रद्धा , ममता का भण्डार होती है।

माँ मंदिर की मधुर घंटी  होती  है,

माँ भगवान  का  प्रसाद  होती  है!

मोहक  स्वरों   का सरगम होती है,

माँ   सारा   दुख   हर   लेती    है।

माँ  इन्सानियत   का  रुप होती है,

त्याग   की   प्रतिमूर्ति   होती है!

माथे  की  चन्दन  जैसी  होती है,

माँ चिलचिलाती धूप में छाँव होती है।

त्याग और बलिदान का रुप होती है,

माँ में  असीम   शक्ति   होती  है!

माँ हौंसला    बढा़ती     रहती   है,

माँ  मन  का भाव  पढ़  लेती है।

माँ जीवन  की सही परिभाषा है,

जिन्दगी  का  सुहावना  सफर  है!

संस्करों   की  गंगोत्री  होती है,

माँ ही जीवन की आराधना है।

- कालिका प्रसाद सेमवाल

मानस सदन अपर बाजार

रुद्रप्रयाग   उत्तराखंड