करते रहे शक हम पर - गुरुदीन वर्मा

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करते रहे हो तुम शक हम पर, तुमसे बेशक क्यों रहे।

क्यों समझे हम तुमको पवित्र, तुमसे वफ़ा क्यों रहे।।

करते रहे हो तुम शक---------------।।

सच बयां करती है हमको,यह हरकतें चाल तुम्हारी।

तुमको नहीं जब शर्म हमारी,तुमपे फिदा क्यों रहे।।

करते रहे हो तुम शक----------------।।

हमसे हमेशा यह बहाना, छोड़ो हमको है घर जाना।

करीब हमारे जब तुम नहीं हो,दीवाने तेरे क्यों रहे।।

करते रहे हो तुम शक---------------।।

हमको मिला है खत कोई, जिसपे लिखा है साफ यह।

ख्वाब तुम्हारा हम नहीं है, हम पास तुम्हारे क्यों रहे।।

करते रहे हो तुम शक----------------।।

तुमसे मिला है हमको क्या, जिसको कहे हम अहसान।

पास हमारे इसका सबूत है, तुमसे दबकर हम क्यों रहे।।

करते रहे हो तुम शक-----------------।।

- गुरुदीन वर्मा आज़ाद

तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)