कविता - मधु शुक्ला

 | 
pic

अनुमान नहीं कर पाते हैं, लोग वक्त की करवट का,

इसीलिए करना  पड़ता है, उन्हें सामना संकट का।

उत्तरदायी सुख - दुख का क्यों, सभी वक्त को ठहराते,

साथ समय के चलने की जब, नीति नहीं वे अपनाते।

योग  नहीं  दुर्घटनाओं  का, अपने आप बना करता,

विपरीत प्रकृति के चलने का, दंड भुगतना ही पड़ता।

तभी  वक्त  की करवट हमको, दुख पहुँचाया करती है,

कार्य प्रणाली हम लोगों की, उसको जब-जब चुभती है।

रखें  मित्रता समय साथ हम, और सत्य को अपनायें,

नहीं समय की करवट दुख दे, हम सब उन्नति कर पायें।

--  मधु शुक्ला,सतना, मध्यप्रदेश