कविता - मधु शुक्ला
Jan 6, 2023, 22:23 IST
| मिलेगा क्या नशा कर के, अगर मन में विचारें हम,
कई परिवार बच जायें, दशा उनकी सुधारें हम।
न तन की दुर्दशा हो फिर,रहें सब स्वस्थ तन,मन से,
करें सद्कर्म हम जग में, उठायें लाभ जीवन से।
न खर्चा रोग पर होगा, बचत कुछ कर सकेंगे हम,
रहेगा हाथ में पैसा, तभी सुख से जियेंगे हम।
न दुर्घटना डरायेगीं , न रिश्ते टूट पायेंगे,
बुरी लत से जुदा जीवन, अगर हम सब बितायेंगे।
करेगा देश उन्नति फिर, रुकेगी वक्त बर्बादी,
रहेंगे घर सभी आबाद, टूटेंगीं न फिर शादी।
- मधु शुक्ला,सतना, मध्यप्रदेश