कविता - मधु शुक्ला

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मिलेगा क्या नशा कर के, अगर मन में विचारें हम,
कई परिवार  बच जायें, दशा उनकी  सुधारें  हम।

न तन की दुर्दशा हो फिर,रहें सब स्वस्थ तन,मन से,
करें सद्कर्म  हम  जग में, उठायें लाभ  जीवन  से। 

न खर्चा रोग पर होगा, बचत कुछ कर सकेंगे हम,
रहेगा  हाथ  में  पैसा, तभी सुख से जियेंगे  हम।

न   दुर्घटना   डरायेगीं ,  न  रिश्ते  टूट  पायेंगे,
बुरी लत से जुदा जीवन, अगर हम सब बितायेंगे।

करेगा  देश  उन्नति  फिर, रुकेगी  वक्त  बर्बादी,
रहेंगे  घर  सभी  आबाद, टूटेंगीं न  फिर शादी।
-  मधु शुक्ला,सतना, मध्यप्रदेश