उन दिनों की बात है - प्रतिभा कुमारी

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"रात कटती नही

दिन गुज़रता नहीं

जिंदगी अब तेरे बिन

संवरती नहीं 2

*बात उस दिन की है

जब थे हम तुम मिले

नहीं फासले

न कोई शिकवे गिले

* कभी हँसते रहे

कभी गाते रहे

मिलकर दोनों आंसू

छुपाते रहे

* आया इक दिन वो मोड़

जब हम तुम मिले

दूर हुए दरमियाँ

सारे शिकवे -गिले

* क्या वो दिन थे

क्या यही थे वो रात

जब हम- तुम मिले

और बढ़ते चले

*सूर्य की लालिमा

पूनम की रात

देखते -देखते ही

गुजर गई रात

*छोड़ो न कल की ये बातें पुरानी

पूरी पडी हमारी जिंदगानी

मिट जाएगी ये अधूरी कहानी

प्रेम ही प्रेम है हमारी निशानी"!

️ प्रतिभा कुमारी गया, बिहार