बेमतलब - सुनीता मिश्रा

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बड़े ही बेमतलब

के होते हैं ...

कुछ ख्वाब..

कुछ अल्फाज..

कुछ अहसास..

और कुछ याद !!

फिर भी,

बार-बार याद आते हैं...

वे कुछ ख्वाब...

कुछ अल्फाज...

कुछ अहसास....

और उनमें समाई कुछ याद !!

बढ़ा देते हैं...

ये बेचैनियाँ!

छीन लेते हैं...

जिंदगी का सुकून...

ये बेमतलब के...

कुछ ख्वाब...

कुछ अल्फाज...

कुछ जज़्बात...

और कुछ बेमतलब की याद।

-.️सुनीता मिश्रा, जमशेदपुर