नुक्स निकलने के बजाय, सरकारी स्कूलो की कार्यशैली को करीब से देखिये - समरजीत मल्ल

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Vivratidarpan.com - ये ट्रेन्ड चल रहा है लोगों में, कि सरकारी स्कूल में पढाई नहीं होती अध्यापक बैठे रहते हैं ,उन्हें फ्री में सैलरी गवर्नमेंट देती है

मैं उन सभी लोगों को बताना चाहता हूँ कि एक सरकारी स्कूल का अध्यापक बनने के लिए आधी उम्र निकल जाती है एक कमरे में, और लाखों लोगों में से कुछ लोग चुने जाते हैं कई परीक्षा देने के बाद । फिर सरकारी अध्यापक बनता है  और जब सैलरी उसे मिलती है तो कुछ लोमड़ी जैसे लोगों को जो नहीं पाए हैं और ना प्रयास किए हैं कभी पाने को उन्हें अंगूर खट्टे लगते हैं और जमीन बन्जर जो आज सरकारी स्कूलों की उपहास कर रहे हैं मैं उन लोगों से पूछना चाहता हूं बड़े विनम्र स्वभाव से कि उनके दादा परदादा कहाँ से पढ़े थे और वो जो बात कर रहे हैं वो कहाँ से पढ़े है।

उठा कर इतिहास देख लो भारत में जितने भी अच्छे पद पर हैं  वो सब सरकारी स्कूल से पढ़े है विदेश में भी अच्छे पदों पर काम करने वाले सरकारी स्कूलों से ही पढ़े हैं, आज दिखावे का जमाना है , जो जितना दिखा , वो उतना बिका।

बच्चा प्राईवेट स्कूल में पढ़ रहा है गुड मॉर्निंग, गुड नाईट कह रहा है माँ बाप समझ रहे हैं मेरा लड़का तो अंग्रेज हो गया अंग्रेजी फर्राटेदार बोल रहा है मगर उसके संस्कार मिला लीजिए एक सरकारी स्कूल के बच्चे से,  कौन ज्यादा संस्कारिक है

और दूसरी बात आज जिसके पास थोड़ा सा पैसा है वो शहर में रहना चाहता है कुछ औरत ऐसे भी हैं जिनको सास ससुर के लिए खाना बनाने में दिक्कत होती है तो उन्हें एक बहाना चाहिए पढाई का और वो प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने के नाम पर आना है

तीसरी बात सरकारी स्कूलों में गरीब बच्चों का दाख़िला होता है क्योंकि उनके पास पैसा नहीं होता है वो कॉपी किताब तक नहीं खरीद पाते हैं मजदूरी कर अपना पेट पालते हैं औऱ सोचते हैं किसी तरह उनका लड़का थोड़ा बहुत पढ़ ले वो लड़के को नौकरी के लिए नहीं, नाम लिखने के लिए पढ़ाते हैं और पढ़ाई से ज्यादा काम कराने पर ध्यान देते हैं जिससे उनको शाम की रोटी मिल सके।

चौथी बात सरकारी स्कूलों की बिल्डिंग उतनी दिखावा वाली नहीं होती खेत खलिहानों में होती हैं रास्ते खराब होते हैं

बिजली समय से नहीं आती, कूलर ,पँखे ,ए सी नहीं चलती तो अमीरों के बच्चे कैसे  पढ़ने जाएं।

आपको बता दूँ आपके पास अधिकार है आप सरकारी स्कूल में आइए अध्यापक से मिलिए, अपने लड़के के बारे मे पूछिए, बैठिए, देखिए कैसे पढ़ाते हैं अध्यापक लड़के का बैग चेक करिए।

मैं आज उन सभी लोगों को बताना चाहता हूँ जो सरकारी स्कूल की बुराई करते हैं, अगर आज सरकारी स्कूल नहीं होते तो भारत की 90 परसेंट जनसंख्या निरक्षर होती और लोगों पर जातिवाद का ठप्पा ,धर्म के नाम पर दंगा , रीति रिवाज के नाम पर बलि बुरी संस्कृति के नाम पर बुजुर्ग द्वारा जवान के पैर पर गिरना, औरतों को केवल दासी समझना, जो कुछ बोले मत सिर्फ पति को परमेश्वर , घर को स्वर्ग माने और खुद को नरक में रख कर जिए और बन्धुआ मजदूर, भेड़ बकरी से भी बद्दतर जिंदगी होती।  और पूरे सरकारी सिस्टम पर कुछ चन्द लोगों का अधिकार होता और भारत में भिखारी बेरोजगारी लूट, डाकू ,चोर, रेपिस्ट आतंकवाद, कुपोषण गुलामी, रजवाड़ा प्रथा और भी जितनी दयनीय स्थिति है उन सबसे भारत भरा होता।

इसलिए अभी भी वक़्त है बन्द करिए अपने बहकावे की नीतियां और सरकारी स्कूलों की अहमियत समझिए वरना वो दिन दूर नहीं कि शिक्षा के लिए पैसे आपके पास नहीं होंगे और आप आने वाली पीढ़ियों को पूरा पढ़ा नहीं पाएंगे और पढ़ाएंगे भी तो खुद को जानवर से भी बद्दतर स्थिति में जी कर पैसा बचा कर पढ़ाएंगे, अभी इतनी सरकारी स्कूल के बावजूद भी प्राइवेट स्कूल की फीस देख लीजिए।  फिर बाद में शिक्षा सिर्फ अमीरों के पास होगा औऱ पूरे भारत में चन्द लोगों का ही अधिकार होगा औऱ फिर से पुराने जमाने की तरह रजवाड़े वाली परिस्थिति पैदा हो जायेगी, सम्भल जाओ आप लोग प्राइवेट की स्थिति देखिए और पूछिए एक दूसरे से कितने सन्तुष्ट है आप लोग, प्राइवेट स्कूल, अस्पताल, वाहन, कम्पनी, ऑफिस औऱ भी सभी प्राइवेट संस्था से आप आइए सरकारी सिस्टम को समझिए और सरकारी स्कूल ही नहीं पूरे सरकारी सिस्टम को सही करने पर विचार करिए  कदम बढ़ाइए और सरकारी कर्मचारियों से खुद को जोड़िए, वरना महंगाई की मार झेलने को तैयार रहिए गुलाम बनने को भी तैयार रहिए।

- समरजीत मल्ल (सहायक अध्यापक राजकीय विद्यालय) कुशीनगर, उत्तर प्रदेश