हिंदी समूचे राष्ट्र की प्यारी राष्ट्रभाषा हो - तालिब शामगढ़ी

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vivratidarpan.com जबलपुर (म०प्र०) - 14 सितंबर हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में प्रेरणा हिंदी प्रचार सभा व साहित्यकार डॉ लक्ष्मीनारायण अलौकिक की स्मृति में अलौकिक गार्डन में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया । कार्यक्रम की शुरुआत उपस्थित अतिथियों नंदू कुमावत जिला महामंत्री भाजपा पिछड़ा मोर्चा, श्याम पाटीदार  कप्यूटर, ओमप्रकाश खाती पटेल आशीर्वाद रिसोर्ट द्वारा माँ शारदे के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया । अतिथियों एवं कवियों के स्वागत के साथ ही आशु कवि भेरू सुनार मनासा का सम्मान लक्ष्मीनारायण डाबी, रमेशचंद्र सोनी केशव माधव गोशाला व चामुण्डा मंडल कठोड चौराहा के सदस्य-लोकेश सोनी, अतुल भार्गव ,पंकज भार्गव एवं अन्य युवा साथियों द्वारा किया गया । नंदू कुमावत द्वारा प्रेरक उदभोदन दिया गया। काव्य गोष्ठी का आगाज सीतामउ के कवि गोपाल पाण्डे द्वारा माँ शारदा की वंदना से किया गया। इसके बाद चपलाना के कवि तेज शंकर ने राष्ट्र भक्ति की अलख जगाई । बोलिया के कवि कैलाशचंद्र मेरोठा ने हिंदी व विरह श्रृंगार से कार्यक्रम को गति प्रदान की। कवि घनश्याम परमार कानखेड़ी,कवि गोपाल जाटव विद्रोही खड़ावदा,कवि कमल भट्ट साहेब, कुमार दीपक भवानीमंडी ने श्रोताओं को बांधे रखा।

पिपलिया मंडी के कवि मुकेश निडर ने निडर होकर मित्रों सफेद रंग को काला कैसे कह दूं, मैं घुप्प अंधेरे को उजाला कैसे कह दूं , ने खूब दाद बटोरी । पचपहाड़ के कवि महेश बालोदिया ने अपनी प्रस्तुति से माहौल खुशनुमा कर दिया , आपकी रचनाओं को खूब सराहा गया । मंदसौर के कवि, शायर  डॉ राजेन्द्र कुमार तिवारी ने हिंदी की बेहतरीन रचना सुनाकर सबका मन मोह लिया ।

सीतामउ के कवि गोपाल पाण्डे ने भी भारत के मान की बिंदी , बिंदी सी हिंदुस्तान की हिंदी ,

इसके बाद शामगढ़ के कवि,शायर,गीतकार ने "गफलत से जगा दे दे कि मैं सो नही सकता,  ये काम तुम्हारे सिवा हो नही सकता  दहलीज पर पड़े है जब से तेरे कदम ,घर में अंधेरा मेरे कभी हो नही सकता । हर जिस्म एक जान हो जाना चाहिए ,खुशी ,खुशी ये काम हो जाना चाहिए,तरक्की चाहते हो अगर हिंदुस्तान की तो हिन्दू, मुस्लिम,सब को एक हो जाना चाहिए ।एक ही हमारी आरजू एक ही हमारी अभिलाषा हो,और हिंदी समूचे राष्ट्र की प्यारी मातृभाषा हो। शेर,कविताएँ सुनाकर कार्यक्रम को भव्यता, नई उच्चाइयाँ प्रदान की । देखते ही देखते सबके चहेते बन गए।

शामगढ़ के कवि पप्पू सोनी ने भी बेटी की कविता वे घर अग्नि कुण्ड है जहाँ जली आशाएं,लड़के को श्रेष्ठ बताकर,कमतर बताई बालाएँ, जब बेटी के आंखों में लाचारी के आंसूं आते है ,पूरे वंश के सततक तत ही जल जाते है ।आपको भी श्रोताओं का खूब दुलार मिला ।और अंत में मनासा के आशुकवि भेरू सुनार ने बेटी पर अपनी मशहूर रचना वो घर घर नही खण्डहर हो जाया करते,जिनमें पैदा कभी बेटियाँ नही होती जैसी कई बेहतरीन रचनाये सुनाकर कार्यक्रम को विराट स्वरूप प्रदान किया ।

कार्यक्रम के दौरान बरसाना धाम गोशाला के शिव भगवान फरक्या , वरिष्ठ पत्रकार किरण परिहार,जननेता आरिफ बेग कालूराम राठौर,कुलदीप राठौर ,प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से सुनील काला,वैभव धनोतिया, कमल प्रजापति,दिलीप श्रीवास्तव, मुकेश कुमार व अन्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम का विशेष आकर्षण प्रतापगढ़ से श्री रामनिवास गायरी, महेश मनेरिया एवं उनके मित्रगण काव्य श्रवण के लिए शामगढ़ पधारे । डॉ अलौकिक की एक रचना अग्गड़ताल उनके पोते सूंदर राठौर द्वारा पड़ी गई । कवियों को प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया गया । आभार श्याम पाटीदार द्वारा माना  गीतकार खाजू खां मंसुरी उर्फ" तालिब शामगढ़ी द्वारा किया गया । प्रेरणा हिंदी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी ने इस सफल आयोजन के लिए बधाई दी।