हिंदी कार्यशाला - पवन कुमार सूरज

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हिंदी कार्यशाला से पूर्व

एक प्रतिभागी ने

मुझसे पूछा, 'सूरज' जी,

"आज की हिंदी कार्यशाला में

क्या-क्या मूल्यवान मिलेगा?"

मैंने तपाक से कहा,

"हिंदी का ज्ञान मिलेगा।

भाषा का विज्ञान मिलेगा।।

टंकण की समस्याओं का

उन्नत समाधान मिलेगा।।"

"मधुर सरस्वती गान मिलेगा।

हर प्रतिभागी को सम्मान मिलेगा।।

राजभाषा से संबंधित नियमों पर,

वक्ताओं का व्याख्यान मिलेगा।।"

 महोदय खीजकर बोले,

"सूरज जी बात न घुमाओ।।

बेकार बातों में मत उलझाओ।

कुछ फायदे की बात करो,

फ़ौरन असली मुद्दे पर आओ।।

चाय, कॉफी, रसमलाई मिलेगी।

समोसा, कचौरी, मिठाई मिलेगी।

क्या पकवान? क्या मिष्ठान मिलेगा?

पेन,पेड, फोल्डर किट या बैग मिलेगा।।

कोई पदक, ईनाम मिलेगा।

या कुछ नगद-नारायण मिलेगा?"

अरे! बतलाओ तो और क्या-क्या

कीमती सामान मिलेगा?"

मन हीं मन मैं सोचने लगा।

जब तक हमारे अंर्तमन में

इस तरह का अरमान पलेगा।

कुछ धन द्रव्य मिल जाए

केवल इस ओर ध्यान चलेगा।।

तो फिर इन आवर्ती

कार्यशालाओं से, गोष्ठियों से,

हिंदी पखवाडों से,

कैसे हिंदी भाषा को

समुचित उत्थान मिलेगा?

अब तुम हीं बतलाओ 'सूरज'

"यथार्थ में जो मिलना चाहिए

हिंदी को कैसे उसका

वो शीर्ष स्थान मिलेगा?

-पवन कुमार सूरज, देहरादून, उत्तराखंड