हिंदी ग़ज़ल - जसवीर सिंह हलधर

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सही इंसान चुनने में रिवाजों का दखल होगा ।

वहीं पर रात बीतेगी जहां पर अन्न जल होगा ।

भरोसा है नहीं जब एक पल का एक लम्हे का,

बड़ा मुश्किल यकीं करना कहाँ पर कौन कल होगा ।

नहीं मालूम है इस जिंदगी का लक्ष्य क्या आगे,

किसी के काम आये बिन नहीं जीवन सफल होगा ।

नहीं पहचान पाया आदमी किस्मत लिखा है क्या ,

मगर लेखा हमारे कर्म का बिल्कुल अटल होगा ।

जहाँ कोई नहीं होगा हमारी आत्मा होगी ,

गवाही में उसी के फैसला रद्दोबदल होगा ।

सफाई मज़हबी जिन्नात की होनी जरूरी है ,

नहीं तो नाम अपना देख लेना बेदखल होगा।

सड़ा तालाब का पानी दवाई  भी मिलानी है ,

तभी "हलधर" सफल होगा तभी पैदा कमल होगा ।

 - जसवीर सिंह हलधर, देहरादून