हिंदी ग़ज़ल - जसवीर सिंह हलधर
Jul 19, 2022, 23:21 IST
| सही इंसान चुनने में रिवाजों का दखल होगा ।
वहीं पर रात बीतेगी जहां पर अन्न जल होगा ।
भरोसा है नहीं जब एक पल का एक लम्हे का,
बड़ा मुश्किल यकीं करना कहाँ पर कौन कल होगा ।
नहीं मालूम है इस जिंदगी का लक्ष्य क्या आगे,
किसी के काम आये बिन नहीं जीवन सफल होगा ।
नहीं पहचान पाया आदमी किस्मत लिखा है क्या ,
मगर लेखा हमारे कर्म का बिल्कुल अटल होगा ।
जहाँ कोई नहीं होगा हमारी आत्मा होगी ,
गवाही में उसी के फैसला रद्दोबदल होगा ।
सफाई मज़हबी जिन्नात की होनी जरूरी है ,
नहीं तो नाम अपना देख लेना बेदखल होगा।
सड़ा तालाब का पानी दवाई भी मिलानी है ,
तभी "हलधर" सफल होगा तभी पैदा कमल होगा ।
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून