हिंदी ग़ज़ल - जसवीर सिंह हलधर
Apr 19, 2022, 22:54 IST
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सही इंसान चुनने में रिवाजों का दखल होगा ।
वहीं पर रात बीतेगी जहाँ पर अन्न जल होगा ।
भरोसा है नही जब एक पल का एक लम्हे का,
बड़ा मुश्किल यकीं होना कहाँ पर कौन कल होगा ।
वो पत्थर फेंकते तलवार से हमको डराते हैं ,
नहीं इस काम से उनका कभी जीवन सफल होगा ।
नहीं पहचान पाये वो लिखा है क्या हदीसों में ,
सभी लेखा हमारे कर्म का बिल्कुल अटल होगा ।
जहाँ कोई नही होगा वहां पर आत्मा होगी ,
हमारी हर मुसीवत का हमारे पास हल होगा ।
सफाई पाक से पहले जरूरी हिन्द की हो अब ,
तभी भारत सफल होगा सही वादा अमल होगा ।
नहीं सँभले अभी तो लाल होगी ये धरा अपनी ,
पड़ौसी ताक में बैठा हमारे साथ छल होगा ।
रखें सब हिन्द से नीचे दलीलें जाति मज़हब की ,
यही प्रश्नों का हल होगा तभी "हलधर" सबल होगा ।
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून