ग़ज़ल - ऋतु गुलाटी

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यार  मेरे सुनो आ नये साल में।

प्यार  तुमसे है सीखा नये साल में।

खुशनुमा जिंदगी हो सदा आपकी।

हर खुशी आज पाना नये साल में।

आ बिछा दूँ  दुआओ की लम्बी लड़ी।

गम न देखूँ  तुम्हारा नये साल में।

ख्याब  पूरे तुम्हारे सदा से रहे।

अब मिले ढेर खुशियाँ नये साल में।

मिल के आये सजन से घनी रात में।

हो  उजाला  हमेशा नये साल में।

आज देखा है उनको हँसाते हुऐ।

यार अब ना रूलाना नये साल में।

रूठ कर आज  मेरे बलम हो कहाँ।

लौट आना दुबारा नये साल में।

दूर होगे सभी गम के साये बडे़।

प्यार को तुम बढाना नये साल में।

छोड़ बातें पुरानी सभी आज तो।

सब को अब तुम हँसाना नये साल में।

 - ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली , चंडीगढ़