गजल - ऋतु गुलाटी
Nov 10, 2022, 23:23 IST
| आज की संतान देखो खो रही सम्मान है।
दूसरो के हर दुखोँ सै हो रही अंजान हूँ।
क्यो अजी तुम प्यार मे हमको डराते हो बड़ा।
हम तुम्हारे है सनम हम ,भी अजी इंसान हूँ।
दिल की बातें सुन जरा तू प्यार से मेरी जरा।
सोच लो अब प्यार तेरे, हो गयी नादान हूँ।
खूबसूरत जिंदगी भी सब तुम्हारे से लगे।
लब पर मेरे आ गई देखो अजी मुस्कान हूँ।
क्यो सताते आज हमको क्यो बने शैतान हो?
ए खुदा! तेरी खुदाई देखकर हैरान हूँ।
- ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली, चंडीगढ़