गजल - ऋतु गुलाटी
Sat, 23 Jul 2022
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प्रेम की रोशनी जलानी है,
नफरते ये सभी हटानी है।
आज छेड़ो हँसी भरे नगमे ,
जिंदगी खुश हमें बितानी है।
क्या रखा दुख बताने मे सबको,
यार दुनियां बड़ी नुरानी है।।
घर नया सा कभी बनायेगे,
खुश हो...राते बितानी है।।
जल रही याद की शमाँ भीतर,
आज रीतू हुई सयानी है।।
- ऋतु गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़