गजल - रीतू गुलाटी 

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प्यार है दोनो में तो चर्चा क्यो करे हम।

रहना है संग तो पर्चा क्यो? करे हम।।

जीवन गुजारना है यार संग संग जब।

तो बातों को यूँ ही पकड़ा क्यो करे हम।।

चले गये ठुकरा कर महफिल से जब वो।

विसाले यार के शहर धन्धा क्यो करे हम।।

कट जायेगी जिंदगी यूँ ही हँसते हँसते।

बेकार मे फिर झगड़ा हम क्यो करे।।

न कर ऋतु छीटाकशी इक दूजे पे अब।

नाजुक है दिल मेरा,रगड़ा क्यो करे हम।।

- रीतू गुलाटी ऋतंभरा, मोहाली, चंडीगढ़,