ग़ज़ल हिंदी - जसवीर सिंह हलधर
Jan 15, 2023, 23:09 IST
| बिना पूछे हमें जो भी सफ़ाई दे रहा है ।
वही षड्यंत्र में शामिल दिखाई दे रहा है ।
किसी उजड़े हुए को घर बसाने की खिलाफ़त ,
उसी के भाषणों में अब सुनाई दे रहा है ।
उसे अंधा किया है राजनैतिक लालचों ने ,
लहू के रंग जैसी वो हिनाई दे रहा है ।
हुआ बीमार ख़ुद है रोग है उसकी ज़ुबा पर ,
किसानों को बिना मांगे दवाई दे रहा है ।
बयानों में सियासत ख़्वाब में है राजधानी ,
वही हमको हराने की दुहाई दे रहा है ।
दलालों से संभालना काम है हर इक बशर का ,
सही रस्ता यही हमको सुझाई दे रहा है ।
तिरंगा हाथ में ले आग विघटन की दिखाता ,
वही सरकार को "हलधर" बुराई दे रहा है ।
- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून