ग़ज़ल - भूपेन्द्र राघव
Jan 25, 2023, 23:50 IST
| बज़्म में कर दी मुनादी दाद ने,
परवरिश ख़ासी करी उस्ताद ने।
मस्जिदो मंदिर वहीं पर ला दिए,
खोल दीं बाहें जहां इमदाद ने।
खींच लायी मौत के दर से मुझे
जिंदगानी बख़्श दी फ़रियाद ने ।
सौ परिंदे खींच लाएगी अभी,
एक चिड़िया छोड़ दी सय्याद ने ।
धूप सहरा में हरा रक्खा मुझे,
दोस्ती की इस मोहब्बत खाद ने।
- भूपेन्द्र राघव, खुर्जा , उत्तर प्रदेश