ग़ज़ल - अनिरुद्ध कुमार

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लोग बोलें यहाँ यार सब ठीक है,

जी रहें प्यार से हाल अब ठीक है।

हर तरफ रौशनी कट रही जिंदगी,

मौजमस्ती इबादत अदब ठीक है।

लोग हँसते सदा नाज नखरा जवाँ,

बात का सिलसिला हर सबब ठीक है।

आदमी आदमी के गले से मिले,

देख ले आज आमो-दरब ठीक है।

यह खुदा का पसारा सुहाना लगे,

दिल लुभाये नजारा गजब ठीक है।

हर किसी में खुशी रोज देता दुआ,

हर जिगर में मुहब्बत तलब ठीक है।     

मस्त'अनि' झूमता चूम दर को कहे,

आज सजदा करें देख रब ठीक है।

- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड