ग़ज़ल - अनिरुद्ध कुमार
May 7, 2022, 23:18 IST
| जिंदगी रब ने दिया मुस्कुराने के लिए,
अक्ल दी सबको हुनर आजमाने के लिए।
आदमी अंजान हैरान दिखता राह में,
बोल ना पाये बचा क्या दिखाने के लिए।
रोशनी में काम कर रात में आराम कर,
रोज क्यों मारा फिरे दिल जलाने के लिए।
तोड़ के वादा भरोसा चल पड़े हो किधर,
जोड़ता धन आदमी घर सजाने के लिए।
छल करें धोखा करें जान की बाजी लगा,
क्या यही है रास्ता प्यार पाने के लिए।
आज रहता है जमाना उलझनों से डरे,
खोजता महफूज घर सिर छिपाने के लिए।
'अनि' निहारें बैठ कें जिंदगी का खेल ये।
क्या बताये दर्द दिल का सुनाने के लिए।
- अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड