गीतिका सृजन - मधु शुक्ला
Nov 24, 2022, 21:52 IST
| हों जिन्हें सद्कर्म प्रिय जीते वही #सम्मान से,
खुश रहें वे द्वेष, ईर्ष्या, क्रोध के बलिदान से।
क्या कभी #सम्मान पाया है किसी ने प्रेम बिन,
प्रेम मन में जागता संवेदना के ज्ञान से।
वंदना अभिमान की जो लोग करते जगत में,
मिल न पाते वे कभी #सम्मान की मुस्कान से।
जोड़ती परिवार को ममता, क्षमा की भावना,
जब मिले #सम्मान सबको जी सकें सब शान से।
बाँटते हैं आप जो पाते वही संसार में,
क्यों रहें अनभिज्ञ फिर #सम्मान की मुस्कान से।
- मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश .