गीतिका - मधु शुक्ला
Jan 13, 2023, 23:09 IST
| आज नजर क्यों आता हमको, हर रिश्ते में ठंडापन,
शीतलता गायब बातों से, बढ़ती जाती है अकड़न।
कथनी करनी हमने बदली, दोष नहीं पर स्वीकारा,
मित्र गँवा कर के पछताये, बुझा - बुझा सा रहता मन।
अपनेपन की कद्र न कर के, रोपी सींची तन्हाई,
दुख संकट में हो घबराहट, विद्रोह करे नित धड़कन।
सुविधाओं के पीछे भागा, श्रम से मानव कतराया,
स्वास्थ्य हुआ चौपट जब सबका, साथ न दे पाया कंचन।
हमदर्दी के गहने से ही, मानवता का रूप खिले,
रिश्तों में गर्माहट रहती, दिखे प्रफुल्लित हर आनन।
- मधु शुक्ला,सतना, मध्यप्रदेश