गीत - झरना माथुर
Nov 11, 2022, 23:08 IST
| तेरे होठों पे नगमा बन के रहना है,
तेरी चाहत में गुल बनके खिलना है।
तुम्ही तो मेरे इस माथे का चंदा हो,
तुम्ही तो मेरे सिंदूर की ये लाली हो,
तेरे दिल में ही रूह बनके बसना है,
तेरी चाहत में गुल बनके यूँ खिलना है।
जाने कैसा ये तुमसे मेरा रिश्ता है,
मेरे साजन अब तुम में ही रब दिखता है,
अब तो तेरे ही खातिर मुझको सजना है,
तेरी चाहत में गुल बनके यूँ खिलना है।
तुम्ही से मेरे जीवन की सांसे साजन,
तुम्ही से मेरा है ये घर ये आँगन,
जीवन के हर सुख दुख में हमको तपना है,
तेरी चाहत में गुल बनके यूँ खिलना है।
- झरना माथुर, देहरादून , उत्तराखंड