गीत - जसवीर सिंह हलधर 

 | 
pic

दर्द में जीते रहे हम राह से डोले नहीं ।

बाढ़ में बहते रहे हम पंख भी खोले नहीं ।।

आसमानों के परिंदे नीर से क्या वास्ता ।

आधियाँ अक्सर हमारा रोकती हैं रास्ता ।

बोझ को सहते रहे हम भार को तोले नहीं ।।

दर्द में जीते रहे हम राह से डोले नहीं ।।1

भोज में होते धमाके गोलियों का नास्ता ।

रोटियां बारूद की जो मानते हैं पास्ता ।

पाक की उन हरकतों पर आज तक बोले नहीं ।।

दर्द में जीते रहे हम राह से डोले नहीं ।।2

भीख में लेता रहा अमरीकियों से जो रसद ।

शेख ,मोमिन मानकर करते रहे जिसकी मदद ।

धमकियां देता हमें वो पास में गोले नहीं ।।

दर्द में जीते रहे हम राह से डोले नहीं ।।3

सांप जो पाले उसी को आज वो डसने लगे ।

तालिबानी मौत का फंदा वहां कसने लगे ।

हम किसी भी मुल्क में आतंक विष घोले नहीं ।।

दर्द में जीते रहे हम राह से डोले नहीं ।।4

राजनेता देश के निर्णय चतुर करने लगे ।

चीन जैसे मुल्क अपनी फ़ौज से डरने लगे ।

आग हैं हम आग "हलधर" अब बुझे शोले नहीं ।।

दर्द में जीते रहे हम राह से डोले नहीं ।।5

- जसवीर सिंह हलधर, देहरादून