गणपति प्रभाती - कर्नल प्रवीण त्रिपाठी
Sep 11, 2022, 23:22 IST
| ज्यों ज्यों दिन हैं बीतते, चौदस आती पास।
निकट विदाई का दिवस, होता हृदय उदास।।
उत्सव के इन नौ दिनों, मची हर जगह धूम।
नृत्य गीत में मग्न हो, सब जन जाते झूम।।
बार-बार दर्शन मिलें, मन में है यह आस।
प्रभु का हो पुनरागमन, बिखरे पुनः सुवास।।
गौरी सुत गणनायका, हरो जगत के पाप।
दुनिया को सद्बुद्धि दो, दूर करो संताप।।
छल प्रपंच अरु लोभ मद, इनका हो निस्तार।
सकल शांति सद्भाव हो, सुखमय हो संसार।।
- कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, नोएडा, उत्तर प्रदेश