पृथ्वी दिवस - प्रियदर्शिनी पुष्पा

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धरती माँ पर पल रहे,  सभी जीव संतान।

मानव निर्दय वश  सभी  , लेते तरुवर जान।।

वृक्ष पुत्र सम पालिए , करे प्रदूषण दूर।

ये जीवन संजीवनी, सुखद वायु का नूर।।

हरण करे विष वायु को, जल बरसाए मेह।

वातावरण सँवारते, समझ धरा को गेह।।

तरु की शीतल छाँव ही,  खग कुल का है नीड़

हरित मही को नोचते , निर्मम व्याधा भीड़।।

पेड़ धरा  का जिंदगी , मत कर इन पर वार।।

जीवन का संबल यही ,  करलो इनसे प्यार।।

प्रियदर्शिनी पुष्पा, जमशेदपुर