दोहा - अनिरुद्ध कुमार
Nov 6, 2022, 23:18 IST
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भोग रहा है आदमी, करनी का अंजाम।
मौन आज देखें सभी, जीना हुआ हराम।।
प्रकृति लगे नाराज सी, मौसम से हलकान।
गर्मी, जाड़ा, अति वृष्टि, जीवन का नुकसान।।
धरती सूरज चाँद भी, कसते रोज कमान।
जहरीला पर्यावरण, आफत में सब जान।।
तम्बू ताने लोभ का, कहाँ कभी आराम।
मानव दानव सा लगे, निस दिन हो संग्राम।।
खगोल की चिंता किसे, न भूगोल का ज्ञान
समय बिचारा क्या कहे, सारा जग अंजान।।
-अनिरुद्ध कुमार सिंह,धनबाद, झारखंड