दीप पर्व - मधु शुक्ला

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दीप पर्व संदेश सुहाना, जन मन को पहुचाता है,

जीवन का तम तब मिटता जब, प्रेम दीप जल जाता है।

नन्हा दीपक हाथ बढ़ा जब, साथ निभाता साथी का,

अंधकार पथ से हट जाता, उजियारा मुस्काता है।

दीपोत्सव की आहट पाकर, ज्योति जले अपनेपन की,

सहयोगी भावों का दरिया, शिकवे गिले बहाता है।

रिश्तों की कडुवाहट डरती, दीप ज्योति की ज्वाला से,

भाई  चारा नव  यौवन पा, आशा  पुष्प  खिलाता  है।

दीप पर्व की भाँति सदा हम , मेल जोल यदि अपनायें,

 सद्भावों का जमघट जमकर , अरि का चैन चुराता है।

मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश