अब लौट आओ साँवरिया - किरण मिश्रा

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सावन ये सूना..तेरे बिन..

सूनी मोरी अटरिया...

लौट आओ साँवरिया.. ..

पलकन झूला डारूँ.. ..

नैनन पन्थ निहारूँ... ....

इन यादों  संग कब तक.. झूलूँ.......

कब तक फिरूँ बाँवरिया... .

लौट आओ साँवरिया..... ..

तुझ बिन सूना घर आँगन है..

तुम बिन सूना मधुवन......

तुम बिन सूनी साँसे ..मोहन

सूनी नेह गगरिया...

लौट आवो साँवरिया....

टीका  सूना ..चूड़ी सूनी....

मेंहदी पाँव, हथेली सूनी...

छन छन बजती पायल... चुप है

सूनी सकल डगरिया.....

लौट आयो साँवरिया......!!""

रीता. मन....सूखा है.. सावन

उमड़ी पीर... चढा अषाढ....तन

हृदय दीप बुझाये ..प्रति पल

वैरी पवन पुरवइया......

लौट आओ साँवरिया...

काला बादर जी डरवावे

बिजुरी चमचम मोहे चिढावे

सखिन पिया संग जिया जरावे

भादों रैन अंधेरिया...

लौट आओ साँवरिया... ..

सावन ये सूना तेरे बिन

सूनी मोरी अटरिया...

लौट आओ साँवरिया ......!.!"

- डा किरण मिश्रा स्वयंसिद्धा, नोएडा, उत्तर प्रदेश