आक्रोश - राजीव डोगरा

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मुझे आक्रोश है आज भी

उन लोगों से जिन्होंने

मेरा साथ तब छोड़ा

जब मुझे सबसे ज्यादा जरूरत थी।

मुझे आक्रोश है आज भी

उन लोगो से  जिन्होंने

मेरी मोहब्बत को तब ठुकरया

जब मुझे किसी के प्यार की जरूरत थी।

मुझे आक्रोश है आज भी

उन लोगो से 

जिन्होंने अपना बनाकर

मुझे गले तो लगाया पर

मेरी पीठ पीछे खंजर भी चुभाया।

मुझे आक्रोश है आज भी

उन लोगो से  जिन्होंने

मुझसे अपना मतलब निकाला

मगर मेरी जरूरत के समय

मुझे ठुकराया।

- राजीव डोगरा

पता-गांव जनयानकड़

कांगड़ा हिमाचल प्रदेश