हिंदी दिवस पर साहित्य अर्पण मंच पर 6 घंटे चला मैराथन काव्य पाठ

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vivratidarpan.com - साहित्य अर्पण अंतर्राष्ट्रीय  मंच द्वारा हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में विशेष ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मंच की संस्थापक और सीईओ, नेहा शर्मा, जो दुबई से हिंदी साहित्य के वैश्विक प्रचार-प्रसार में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं, ने इस आयोजन की अगुवाई की।

कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार  सुधीर अधीर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए और पूरे समय उपस्थित रहकर सभी रचनाकारों का उत्साहवर्धन किया। इस कार्यक्रम की विशेषता यह रही कि इसमें ‘नवीन अवचेतन साहित्य सुमन’ नामक हिंदी दिवस विशेष साझा संग्रह के मुखपृष्ठ का डिजिटल अनावरण भी किया गया।

इस कार्यक्रम में अशोशीला प्रकाशन के प्रतिनिधि शोभित गुप्ता सहित देश के नौ राज्यों के 50 से ऊपर रचनाकार शामिल हुए। कार्यक्रम 6 घंटे तक लगातार चलता रहा, जिसमें कई साहित्यिक हस्तियों ने अपने काव्य पाठ से सभी को मंत्रमुग्ध किया। संचालन की जिम्मेदारी शिप्रा ज्ञानेंद्र इरम, नयना कक्कड़ गुप्ता, विनीता लवानियाँ, हेमा आर्या 'शिल्पी', स्मिता, सपना व्यास और ऋषिकेश खोडके ने बखूबी निभाई।

पूर्वी उत्तर प्रदेश से कलीम जाफरी, शिवा प्रभारन, कंचन पाण्डे, अवधेश कुमार श्रीवास्तव, मोहम्मद महताब नार्वी और मुख्य अतिथि सुधीर अधीर की सहभागिता ने कार्यक्रम को और भी ऊँचाइयाँ दीं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से प्रिया तायल, सुमन मलिक, शबनम यादव, वर्षा अग्रवाल और शोभित गुप्ता की प्रस्तुतियों ने श्रोताओं का मन मोह लिया। इसी तरह, कर्नाटक से भगवती सक्सेना गौड़, प्रबल प्रताप सिंह राणा 'प्रबल', अनुराधा के, त्रिशला मिश्रा और संदीप उपाध्याय 'सरल' की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को लुभाया। राजस्थान से मुकेश हर्ष भारत, सारिका बिस्सा, मुकेश कुमावत, रीता पालीवाल एवं विशाखा तिवारी, दुर्गेश पांडेय और उत्तराखंड से संगीता वर्मानी, अंशु जैन, शोभा पाराशर, सौ सिंह सैनी एवं सीमा शर्मा एवं अन्य प्रतिभागियों ने भी अपनी रचनाओं से सभी को प्रभावित किया। झारखंड शाखा से डॉ अनंग मोहन मुखर्जी, सत्या सिन्हा ने कार्यक्रम में चार चाँद लगाए. हरियाणा शाखा से अजय कुमार नवोदय, पूनम पुष्करणा शर्मा, भारती कौशिक एवं हेमंत अग्रवाल जुड़े। महाराष्ट्र शाखा से लक्ष्मी यादव, अभिलाष अरुण, वैदेही संचेती, ज्योति नायक, नयन भादुले, पल्लवी रानी ने आयोजन में अपनी रचना पाठ किया। दिल्ली शाखा से रुचिका राणा, विनय पंवार, कोमल पंत, अरुण कुमार 'अरुण', डॉ. अंजु लता सिंह तथा मनीषा आवले चौगांवकर ने अपनी उत्कृष्ट रचनाओं से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य हिंदी भाषा और साहित्य को प्रोत्साहन देना था। इस आयोजन में न केवल साहित्यिक रचनाएँ प्रस्तुत की गईं, बल्कि समाज में महिलाओं की स्थिति और हिंदी भाषा के महत्व पर भी गंभीर चर्चा की गई। वक्ताओं ने इस बात पर बल दिया कि हिंदी केवल एक दिन की भाषा नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे हमारे दैनिक जीवन में आत्मसात करना चाहिए।

इस आयोजन में हिंदी के साथ-साथ समाज के अन्य समस्याओं पर भी विचार किए गए। वक्ताओं ने महिलाओं की स्थिति को दर्शाते हुए कहा कि वह अब अबला नहीं मानी जाती बल्कि सक्षम और समर्थ हो गई हैं। हिंदी भाषा का महत्व सिर्फ एक दिन ही सीमित ना रहे इस पर भी सभी रचनाकारों ने सहमति दर्शायी। प्रतिभागियों ने हिंदी को अपनाने की आवश्यकता पर चर्चा की और यह सुझाव दिया कि जब हम हिंदी में बात करेंगे, तो अन्य लोग भी हिंदी में जवाब देने के लिए प्रेरित होंगे, साथ ही हर दिन को हिन्दी दिवस के तौर पर मनाने की हमारी सोच होनी चाहिए।

विशेष रूप से ऋषिकेश खोडके ने सुझाव दिया कि 'नवीन अवचेतन साहित्य सुमन' संग्रह को विभिन्न शहरों की लाइब्रेरी में रखा जाए। नयना कक्कड़ ने बताया हिंदी को 14 सितंबर 1949 को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया और पल्लवी रानी  ने बताया कि 1950 में भारतीय अकादमी भाषा का दर्जा भी मिला। इसलिए इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैं। कार्यक्रम की विविधता की झलक इस बात से झलकती है कि साहित्यकारों ने शहीदों के शहादत को याद किया और नदियों के महत्व को अपनी रचना के माध्यम से बताया।

कार्यक्रम के अंत में यह संकल्प लिया गया कि हिंदी भाषा का संरक्षण और विस्तार हम सभी का कर्तव्य है, और इसके प्रचार-प्रसार के लिए निरंतर प्रयास किए जाने चाहिए। अंत में, यह कामना की गई कि हिंदी का कोई एक दिन न हो, बल्कि हमारे हर दिन में हिंदी समाहित हो। (by - DrAnju Lata Singh)