मुश्किलें मिलके हल कर लें - मीनू कौशिक
Feb 7, 2024, 22:25 IST
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मुश्किलें जहां की सब , आओ मिलके हल कर लें,
एक कदम बढ़ाओ तुम, हम अहम् को मारेंगे ।
दर्द-ओ-ग़म का सौदागर , यार ये ज़माना है
मुहब्बतों के मरहम को , बाज़ार में उतारेंगे ।
जाने क्यूँ बयां कर दी , मुश्किलें सभी अपनी
अब इसी के चलते हम , हर कदम पे हारेंगे ।
आओ कुछ तो जिंदा रखें , पुरखों की उस रवायत को
अपना कहके अपनों को , दिल से हम पुकारेंगे ।
हर चाह उनकी पूरी करें , एक यही उनकी चाह है
बेख़बर बुढ़ापे को , तन्हा वो गुजारेंगे ।
और अब भला कब तक , भागेंगे जिम्मेदारी से
मां-बाप के लिये क़र्ज़ को , हम ही तो उतारेंगे ।
✍️ मीनू कौशिक 'तेजस्विनी ', दिल्ली